राजस्थान के राज्यपाल की हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने ली शपथ, दो बार रह चुके हैं मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष

जयपुर.

महाराष्ट्र के वरिष्ठ भाजपा नेता हरिभाऊ किसनराव बागड़े राजस्थान के नए राज्यपाल के रूप में शपथ ली है। 27 जुलाई की रात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय से नए राज्यपालों की नियुक्ति के आदेश जारी हुए थे। इन्हीं में हरिभाऊ किशनराव बागड़े का नाम भी शामिल था। इनका जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के फुलंबरी कस्बे के एक मराठा परिवार में हुआ था। हरिभाऊ किसनराव बागड़े अपने राजनीतिक सफर में पिछले 50 साल से सक्रिय है।

ये लगातार 20 साल तक विधायक रहे हैं। इतना ही नहीं दो बार मंत्री और एक बार महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। बता दें कि कुछ साल तक संगठन में सक्रिय रहने के बाद वर्ष 1985 में औरंगाबाद पूर्व विधानसभा सीट से हरिभाऊ किसनराव बागड़े पहली बार विधायक निर्वाचित हुए थे। वर्ष 2014 में जब महाराष्ट्र में पहली बार भाजपा की सरकार बनी थी। तब बागड़े को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कल्याण काले को शिकस्त दी थी।

राजस्थान के 43 वें राज्यपाल बने बागड़े
हरिभाऊ किसनराव बागड़े राजस्थान के 43 वें राज्यपाल नियुक्त हुए हैं। वे राज्यपाल कलराज का स्थान लेंगे। कलराज मिश्र का कार्यकाल 22 जुलाई 2024 को पूरा हो गया था। कुछ दिनों पहले तक ऐसे संकेत मिले थे कि कलराज मिश्र को कुछ और महीने तक कार्य करने का मौका मिल सकता है लेकिन अब राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार बागड़े को राजस्थान का नया राज्यपाल बनाया गया है। विधानसभा चुनाव में दिए गए हलफनामे के अनुसार बागड़े 10 वीं कक्षा तक पढे लिखे हैं।

शिक्षा में गलत काम करने वालों को नहीं छोड़ेंगे- राज्यपाल
 राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े ने शपथ के बाद अपनी पहली प्रेसवार्ता में बागड़े ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को जल्द प्राप्त करने के लिए कृषि और सहकारिता को केन्द्र में रखकर कार्य करना उनकी प्राथमिकता है। पत्रकारों के सवालों पर उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों ओर शिक्षा के क्षेत्र में गलत काम करने वालों को नहीं छोड़ा जाएगा। कुलाधिपति के रूप में प्रयास रहेगा कि राजस्थान के विश्वविद्यालय पूरे देश में और विश्व में रैंकिंग में आगे रहे। एक सवाल पर बागड़े ने कहा कि सोच बदल कर ही सहकारिता को आगे बढ़ाया जा सकता है। चाहे अपनी जेब से सहकारिता में कुछ मत दो, लेकिन सहकारिता से भी अपनी जेब में कुछ मत डालो। यह सोच बनी तो सहकारिता आगे बढ़ेगी।

India Edge News Desk

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